प्रशांत रायचौधरी गुनगुनी ठंड में शाम ढलकर रात कब बन गई पता ही न चला , गीतों की गर्माहट कानों को ही नहीं दिल को
* प्रशांत रायचौधरी* पति व पत्नी एक दूसरे से सुर मिलाते हैं तो मधुर संगीत का सृजन होता है जो श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देता