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म प्र हिंदी साहित्य सम्मेलन(इन्दौर इकाई) का आयोजन ज्ञानपीठ से सम्मानित साहित्यकार स्व नरेश मेहता को समर्पित

इंदौर। सर्वपितृ अमावस्या की संध्या पर अभिनव कला समाज के सभागार में म.प्र हिंदी साहित्य सम्मेलन ( इन्दौर इकाई) का तीसरा सारस्वत आयोजन हिंदी साहित्य

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पूजित है हिंदुस्तान सदा,सम्मानित हिंदी भाषा है

सनातनी छंदों का साहित्यिक समूह, साहित्य वाटिका, इन्दौर ने किया हिंदी सप्ताह का शानदार शुभारंभ इंदौर। शहर की साहित्यिक संस्था साहित्यिक साहित्य वाटिका द्वारा हिंदी

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लघुकथा–मंथन / विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में लघुकथा को किया जाए शामिल

हिन्दी की जड़ें हैं मज़बूत- सांसद लालवानी  मातृभाषा उन्नयन संस्थान ने किया आयोजन, शहर की साहित्यिक संस्थाएँ हुईं सम्मानित इंदौर। मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा रविवार

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कविता/ कश्मीर / मानव कौल

बचा हुआ कुछ कश्मीर पिता के जाने के बाद लगा था छूट गया है पर छूटा हुआ कहीं तो जाकर टिक जाता होगा कभी कहीं

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माया कौल… एक संवाद खुद से../

माया कौल         बहुत चौकीदार छोड़े हैं ..मेरे लिए.. मानव ने .. अब्भी अब्भी  तो शर्ट के तीसरे बटन ने अपनी कहानी

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रसभरा मौसम/ माया कौल

सखी सुना है राधा के प्रीतम गांव में आये हैं कितनी गर्मी का मौसम है राधा के मन की खिड़की से देखा हर तरफ बहार

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लघुकथा- चैट-.युद्ध

डॉ. चंद्रा सायता लघुकथा एक साहित्यिक कार्यक्रम की प्रकाशित रिपोर्ट को वाट्सएप पर फारवर्ड किया गया।यही रिपोर्ट समूह दर समूह वायरल होती रही । मि.

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72 बसंत में 72 कविताओं का संग्रह : बोल लेखनी कुछ तो बोल

भयावह समय बदला रचनात्मक काल में इंदौर। डॉ. अंजुल कंसल ने कोरोना काल के भयावह समय को अपनी लेखनी से रचनात्मक काल में बदल दिया।

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मेरे पापा मेरी जिंदगी थे

सुरेखा सरोदे, बाबा आज तुम, बहुत याद आ रहे हो आँखों से बहती अश्रुधारा को मोती बनकर बरसा रहे हो l बताओ ना बाबा इतना

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वामा

रश्मिता शर्मा, वामा….…. आया समय , उठो तुम वामा नर की प्रबल-प्रेरणा बन हर बाधा को हरना है। चार-दीवारी के बंधन तोड़ युग परिवर्तन तुम्हें