डॉ. प्रतिभा जैन

(होम्योपैथ डॉक्टर, लेखिका, अष्टमंगल  मेडिटेशन शिक्षिका होने के साथ ही “मन की थाह” नाम से लोकप्रिय पॉडकास्ट भी करती हैं।)

वर्ष 2022 का आखिरी महीना और इस महीने के बचे हैं चंद दिन …..

आइए सोचते हैं, हमने क्या पाया, क्या खोया,कौन से स्वप्न पूर्ण हुए कौन से अपूर्ण रहे….

जो सपने पूरे हुए उनमें किन-किन लोगों ने हमारा साथ दिया  तथा जो अधूरे रह गए, उसमें हम कहाँ चूक गए ।वह कार्य  जो नामुमकिन सा प्रतीत होता था उसका   अप्रत्याशित मिलना अथवा वह बुरा समय जो यकायक जिन्दगी को नया मोड़ दे गया ।

जो सोचा था वह पाना और असम्भावित  प्राप्त होना ,जब  इन  दोंनो को तोलेंगे  तब  पाएँगे  कि दूसरा पलड़ा  ज्यादा भारी  रहा ।

इसका लब्बोलुआब यह  कि जिन्दगी  पूर्वानुमानित नही होती , कि यह होगा ही । एक चीज़ आपने चाही ,वह मिल गई परंतु दस  चीज़ आकस्मिक हुई ।यह है जिन्दगी , यही है जिन्दगी , एक मायाजाल, एक भूलभुलैया है ; एक कुहासा हटता है ,पथ  साफ होता है कि घना कोहरा पुन: रास्ते पर छा  जाता है, घने जंगल की भाँति,कहाँ जाएँ , किस ओर अगला कदम बढाएँ? बहुत सोचना होगा , और शायद यहीं अपने ,बड़े, अपने गुरू हमें सही सलाह देते हैं और सघन बादल छंट जाते हैं ।

तो दोस्तो, आने वाले वर्ष  में आप क्या- क्या हासिल करना चाहते है, उसकी bucketlist बनाने का समय आ गया है ।

 

फिर आपसे मिलती हूँ अगले साल ।

आपको  नए केलेंडर वर्ष  की अग्रिम शुभकामनाएँ ।

 

लिखने बैठा लेखा जोखा ,क्या खोया क्या पाया ।

जो मिला उसका हर्ष है, गम नहीं जो न मिला ।।

नई उम्मीद नव जोश से, नए साल नई शुरुआत करेंगे ।

लिखेंगे नई कहानी,एक नवल पहचान बनाएँगे ।।

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