प्रशांत रायचौधरी

गुनगुनी ठंड में शाम ढलकर रात कब बन गई पता ही न चला , गीतों की गर्माहट कानों को ही नहीं दिल को भी पुरसुकून अहसास दिला गई।

म्यूजिकल अफेयर के इस संगीत पैकेज ने श्रोताओं को अंत तक बांधे रखा। बहुत कम कार्यक्रम होते हैं जिसमें अंत तक श्रोता टिकते हैं। अमिताभ और रेखा स्पेशल इस कार्यक्रम का शीर्षक था- तुम साथ हो जब अपने। कार्यक्रम प्रीतमलाल दुआ सभागृह में हुआ।

 मोना ठाकुर के कुशल संचालन में आशीष जैन, दीपाली महरिल, रचना वैद्य, शिवानी दसोरे, जगदीश राजानी और सतीश केसवानी ने स्वरों के उतार-चढ़ाव का बढ़िया खेल खेला।

खासकर इंडियन आईडल फेम और कीबोर्ड पर उंगलियां नचाने वाले युवा योगेश पाठक ने  दीपाली महरिल के साथ पिया बावरी गाने में बढ़िया ताल मिलाया तो देर तक तालियों की गड़गड़ाहट से प्रीतम का हॉल गूंज उठा।

आशीष जैन ने जिधर देखूं तेरी तस्वीर नजर आती है और तुम साथ हो जब अपने , जगदीश राजानी ने *मंजिले अपनी जगह है और _भोले  ओ भोले_ गाकर श्रोताओं के दिल में जगह बना ली। सीनियर सिंगर *सतीश केसवानी ने कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है गाने में अमिट छाप छोड़ी। सतीश केसवानी  ने शुरुआत में बड़ी सूनी सूनी है  जिंदगी ये जिंदगी गाकर खूब तालियां बटोरी।

फीमेल सिंगर्स भी सुर साधने में माहिर हैं। पेशे से ब्यूटीशियन रचना वैद्य के गाने में भी ब्यूटी थी। उनको पहले भी सुना है और हर बार सुनना अच्छा लगता है। उन्होंने ना जिया लागे ना और तेरे बिना जिया जाए ना गानों को खूब अच्छे से निभाया। दीपिका महरिल ने महीन, सुरीली आवाज में दिल चीज क्या है आप मेरी जान लीजिए*_* गाकर  समा बांध दिया। शिवानी दसोरे ने ये क्या जगह है दोस्तों, _ऐरी पवन ढूंढे किसे तेरा मन_ खूब अच्छे से गाया। सभी सिंगर्स ने डुएट गानों में भी समां बांधा। खासकर आशीष जैन और रचना वैद्य की जुगलबंदी में ये कहां आ गए हम, यूं ही साथ चलते चलते और देखा एक खाब तो ये सिलसिले हुए  *को सराहना मिली।*

संगीत सुकून भरा : अमूमन सिंगिंग प्रोग्राम में जो म्यूजिशियंस होते हैं वे इतनी जोर से बजाते हैं कि सिंगर की आवाज दब जाती है लेकिन योगेश पाठक की टीम ने इतनी मधुरता से बजाया जिससे उनको खूब दाद मिली।

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