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प्रशांत रायचौधरी*
पति व पत्नी एक दूसरे से सुर मिलाते हैं तो मधुर संगीत का सृजन होता है जो श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देता है। सुर सार्थक म्युजिक क्लब ने सोम वार को प्रीतम लाल दुआ सभागृह में इजहारे इश्क की दास्तान ना्मक युगल जोड़ियों की गीतों के कार्यक्रम का जो आयोजन किया था उसको देखने के बाद यही कहा जा सकता है। हम अपनी भाषा में बोले तो फिल्म शोले जैसा 100 प्रतिशत। सारे गाने कर्णप्रिय, सिंगर्स सुरीले, अभिजीत गौड़,हेमंत माहवार व साथियों का संगीत संयोजन जबर्दस्त, हर गाने के बाद श्रोता गण की तालियां गूंजायमान व श्वेता फड़के का संचालन लाजवाब। इतना ही नहीं बैकड्रॉप व साउंड सिस्टम भी मनोरम। क्या नहीं था इस संगीत पैकेज में। इंदौर के मशहूर सिंगर चिंतन बाकीवाल भी अंत तक कार्यक्रम देखते रहे।
कार्यक्रम का थीम ही सबसे बड़ा आकर्षण था। पति-पत्नी ने जुगलबंदी कर 50 के दशक से 90 के दशक के गाने गाए। एक भी गाना ऐसा नहीं था जिसमें तालियां देर तक न बजी हो। बंगाली,मारवाड़ी,राजस्थानी, महाराष्ट्रीयन,कश्मीरी व दक्षिण भारतीय ड्रेस में सिंगर्स ने गाना गाकर श्रोताओं का दिल जीत लिया। साथ ही यह संदेश दिया कि कश्मीर से कन्या कुमारी तक संगीत सबको एक सूत्र में जोड़ता है। उसी प्रेम व भारतीय संस्कृति को संगीत के माध्यम से पेश किया गया। सिंगर्स जोड़ी डॉक्टर प्रशांत व डॉक्टर पूनम नेवालकर,राजेंद्र व संध्या चौहान,नीरज व शबनम वर्मा,संजय व अर्चना जैन,प्रदीप व प्राजक्ता मोने,जयेश व रीतू गर्दे व संजय व श्वेता फड़के ने अपनी गायन कला से सबका दिल जीत लिया।
इनके गाए कुछ गाने ये थे-
जयेश-रीतू गर्दे – पेशे से सिविल इंजीनियर जयेश ने पत्नी रीतू के साथ 1.ये रातें ये मौसम,नदी का किनारा,ये चंचल हवा, 2.अल्लाह जाने क्या होगा रे 3. तेरा-मेरा जुदा होना मुश्किल है गाकर खूब तालियां बटोरी। जयेश की आवाज में जो गहराई है उसमें रीतू की सुरीली आवाज मिठास घोल रही थी। उनकी बॉडीलैंग्वेज का आकर्षण अलग था।
2.डॉक्टर प्रशांत नेवालकर डॉक्टर पूनम- महाराष्ट्रीयन ड्रेस में इन्होंने नींद ने मुझको आए,दिल मेरा घबराए, 2. य़े परदा हटा दो,जरा मुखड़ा दिखा दो,तुम्हे याद होगा,कभी हम मिले थे आदि
3. संजय-अर्चना जैन – मारवाड़ी ड्रेस में जैसे ही उन्होंने धड़कने लगे दिल के तारों की दुनिया गाना शुरू किया तालियां बजने लगी। इस खूबसूरत जोड़ी की केमिस्ट्री बहुत अच्छी थी। उन्होंने तू है वही दिल ने जिसे अपना कहा, जाने कैसा है मेरा दीवाना,सारे शहर में आपसा कोई नहीं भी गाया।
4. नीरज-शबनम वर्मा- कश्मीरी ड्रेस में इन्होने ,सुन सुन सुन जालिमा,ये परबतों के दायरे व कितना प्यारा वादा है इन मतबाली आंखों का गाकर तालियां बटोरीं।
5. प्रदीप व प्राजक्ता मोने -बंगाली ड्रेस में इन्होंने ये रात भीगी-भीगी से गाने की शुरूआत की। प्राजक्ता पहली बार किसी मंच पर गाईं लेकिन ऐसा नहीं लगा कि पहली बार गा रही हैं। उन्होंने याद किया दिल ने कहां हो तुम,तू जो मेरे सुर में सुर मिला ले गाकर समां बांध दिया।
6.राजेंद्र-संध्या चौहान- मारवाड़ी ड्रेस में छोड़ दो आंचल जमाना क्या कहेगा,मेरी जां वल्ले-वल्ले, गापुची गापुची गम गम गाकर समां बांध दिया।
7.संजय – श्वेता फड़के – दोनों ही कार्यक्रम के आयोजक भी हैं। गाना गाकर वे दोहरी भूमिका में थे। इनकी जुगलबंदी श्रोताओं को पहले से ही पसंद है। इन्होंने 1. मस्ती भरा है समां,2. ना ना करके प्यार तुम्ही से कर बैठे, 3. कोई माने या न माने जो कल थे अंजाने गाकर सोमवार की शाम को रंगीन बना दिया।