हिन्दी की जड़ें हैं मज़बूत- सांसद लालवानी
मातृभाषा उन्नयन संस्थान ने किया आयोजन, शहर की साहित्यिक संस्थाएँ हुईं सम्मानित
इंदौर। मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा रविवार को हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में इंदौर प्रेस क्लब में आयोजित लघुकथा–मंथन में यह आवाज़ उठी कि तेज़ी से लोकप्रिय होती साहित्य की विधा लघुकथा को विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों में शामिल किया जाए। लघुकथा–मन्थन के उद्घाटन सत्र में लघुकथा शोध केंद्र भोपाल की निदेशक कांता रॉय ने जब यह आवाज़ उठाई, तब तालियों की गड़गड़ाहट से उपस्थित लघुकथाकारों और साहित्यकारों ने समर्थन किया।
सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ लघुकथाकार सतीश राठी ने की,विशेष अतिथि डॉ. पन्नालाल थे। अतिथि स्वागत संस्थान के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य नितेश गुप्ता व ऋतु गुप्ता ने किया एवं सत्र संचालन अंशुल व्यास ने किया।
विमर्श सत्र की मुख्य वक्ता कांता रॉय ने लघुकथा के वर्तमान को बहुत अच्छा बताते हुए आशा व्यक्त की कि इसका भविष्य भी उज्ज्वल होगा। श्रीमती रॉय ने नवोदित रचनाकारों से कहा कि ’लेखन व्यक्तित्व के विकास में सहायक होता है। कोई भी विधा आपको चुनती है, आप विधा को नहीं चुनते।’
वरिष्ठ लघुकथाकार सतीश राठी ने सत्र की अध्यक्षता करते हुए कहा कि ‘लघुकथा आज जिस ऊँचाई पर खड़ी है, वहाँ तक पहुँचने के लिए इस विधा ने बहुत संघर्ष किया है। वर्तमान में लघुकथा की गुणवत्ता के स्तर पर चिंतन ज़रूरी है।’सत्र को विशेष अतिथि पूर्व आईपीएस पन्नालाल जी ने भी सम्बोधित किया।
सम्मान का सत्र
मन्थन का दूसरा सत्र सम्मान का था, जिसके मुख्य अतिथि सांसद शंकर लालवानी रहे।
अतिथि स्वागत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ व राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष शिखा जैन ने किया।
इस सत्र में सांसद लालवानी ने संस्मय प्रकाशन की विवरणिका का विमोचन भी किया। साथ में, शहर की 15 संस्थाओं एवं 3 बड़े आयोजकों का सम्मान मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा किया गया, जिनमें श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति, हिन्दी परिवार, क्षितिज, वामा साहित्य मंच, विचार प्रवाह, अखण्ड सन्डे, शौर्य नमन, तूलिका, वंशीवट, शुभ संकल्प, विद्याजंलि भारत, अभ्यास मण्डल, रंजन कलश, अवध समाज सहित इन्दौर लिटरेचर फेस्टिवल, लिट् चौक व अंतरराष्ट्रीय महिला समागम का भी सम्मान किया गया।
श्री लालवानी ने अपने संबोधन में कहा कि ‘हिन्दी की जड़ें बहुत मज़बूत हैं, साहित्य और हिन्दी को लेकर ऐसे आयोजन होते रहे तो हिन्दी की फिर बहार आएगी।’
इंदौर लेखिका संघ सम्मानित
इस अवसर पर शहर की अग्रणी साहित्यिक संस्था इंदौर लेखिका संघ को भी सम्मानित किया गया। संस्थापक अध्यक्ष डॉ स्वाति तिवारी, सचिव विनीता तिवारी के साथ डॉ सुधा चौहान, निशा चतुर्वेदी, सुषमा व्यास राजनिधि ने यह सम्मान सांसद शंकर लालवानी के हाथों ग्रहण किया।
तीसरा सत्र लघुकथा पाठ
इस सत्र के मुख्य अतिथि प्रो. डॉ. योगेन्द्रनाथ शुक्ल थे,अध्यक्षता उज्जैन की वरिष्ठ लघुकथाकार मीरा जैन ने की।
अतिथि स्वागत संस्थान की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. नीना जोशी व कवि गौरव साक्षी ने किया।
मुख्य अतिथि प्रो. डॉ. योगेंद्र नाथ शुक्ल ने कहा कि ‘लघुकथाकार को अति बौद्धिकता, सपाटपन से रचना को बचाना होगा। नए–नए प्रयोग करने होंगे किंतु रचना को जटिलता से मुक्त रखना होगा अन्यथा यह भी कविता की तरह चारदीवारी में बंद होकर, केवल बुद्धिजीवियों के लिए बौद्धिक विलास बनकर रह जाएगी। जनता को जगाने के लिए जो काम आज़ादी के पूर्व कविता ने किया था, वह कार्य आज लघुकथा कर सकती है क्योंकि कविता से आमजन का मोह भंग हो गया है। अध्यक्ष मीरा जैन ने अपने वक्तव्य में कहा कि ’सकारात्मक भाव से लघुकथा लेखन हो, यह सर्वाधिक लोकप्रिय और पठनीय विधा है।’
सत्र में देवेन्द्र सिंह सिसोदिया,मुकेश तिवारी,प्रेम मंगल, सुषमा व्यास राजनिधि,माधुरी व्यास नवपमा,रश्मि चौधरी, शिरीन भावसार व श्रुति पंवार ने लघुकथा पाठ किया।सत्र संचालन प्रीति दुबे ने किया
इस अवसर पर अतिथियों ने हिन्दीग्राम के वृत पत्र का विमोचन किया।
लघुकथा जैसी विधा पर एक विमर्श और मन्थन की दरकार रही है, उसी तारतम्य में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें इन्दौर प्रेस क्लब, नवरस, ओज़ल फ़ार्म, पंचौली रेस्टोरेंट का सहयोग रहा। आयोजन में सूर्यकान्त नागर, हरेराम वाजपेयी, सदाशिव कौतुक, जलज व्यास, ऋतु साहू, अवनीश पाठक, अनिता शर्मा, अखिलेश राव, जयसिंह रघुवंशी सहित कई साहित्यकार शामिल हुए। आभार कवि गौरव साक्षी ने माना।