इंदौर।रविवार 21 अगस्त को इंदौर के साहित्यकारों द्वारा एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया| दुबई से आये वरिष्ठ साहित्यकार, वरिष्ठ नागरिक काव्य मंच गल्फ यूनिट के अध्यक्ष डॉ नितिन उपाध्ये के स्वागत में यह आयोजन साहित्यकार सुषमा व्यास राजनिधि के निवास स्थान पर किया गया था|
अनौपचारिक एवं आत्मीय माहौल में संपन्न कार्यक्रम में मातृभाषा उन्नयन संस्थान के अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल, विचार प्रवाह मंच के संयोजक वरिष्ठ पत्रकार मुकेश तिवारी, सचिव देवेन्द्र सिंह सिसौदिया, मनीष व्यास,कवि रमेश शर्मा, मीडियापल्टन.कॉम की संपादक संध्या राय चौधरी, कवि गौरव साक्षी, लेखिका दीपा मनीष व्यास, अर्चना मंडलोई, माधुरी व्यास’नवपमा,मनीषा व्यास और शब्दाहुति पत्रिका की उप संपादक अदिति सिंह भदौरिया शामिल हुए ।सबने अपनी कविताओं के काव्यरस से सराबोर कर दिया|
डाॅ नितिन उपाध्ये का स्वागत मुकेश तिवारी और देवेन्द्र सिंह सिसौदिया ने किया|श्रीमती सीमा उपाध्ये(डाॅ.) का स्वागत संध्या रायचौधरी ने किया।
इस छोटी सी खुशी और अपने पन से भरपूर काव्य गोष्ठी में–
गौरव साक्षी ने–“ राम जाने की राम जी कैसे शबरी निवास में आए “और “मुश्किलों का बदल नहीं मांगा कोई रास्ता सरल नहीं मांगा” इन कविताओं को सुना कर सबका दिल जीत लिया| ‘माधुरी व्यास नवपमा’ ने “खोने का गम करने से पाने में खुश हो ना सीखो, गम में तुम गाना सीखो आंसू में मुस्काना सीखो”कविता से सब को भावुक कर दिया| ‘मनीषा व्यास’ ने “फुटपाथ पर पड़ा था वह कौन था बेचारा शायद समय की भूख है उसे तड़पा कर मारा कुर्ता उठाकर देखा तो पेट पर लिखा था सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तां हमारा“ कविता से सबको द्रवित कर दिया|
‘डॉक्टर अर्पण जैन’ ने कोरोना की विभीषिका पर “श्मशान चिल्लाएंगे, कब्रें चीखेंगी सड़कों पर लाशों का चक्का जाम होगा” कविता से सबको गले तक भिगो दिया| मुकेश तिवारी ने ”शब्द और अर्थ के वजूद की लड़ाई और शब्द के अपने दर्द अर्थ के अपने शब्द की अपनी व्यथा” कविता में व्यक्त की। ‘देवेंद्र सिंह सिसौदिया’ ने “कच्ची थी पर घर में रहने वालों के रिश्ते पक्के थे” कविता सुनाई |
अदिति सिंह भदौरिया ने “मैं मीरा खुद को मानूं ना , मानूं उन बातों को वह सांवले चितचोर की हुई मैं सांवले तेरी हो गई कविता से प्रेम रस भर दिया।
‘दीपा मनीष व्यास’ में “बारिश के इस मौसम में थोड़ा सा रूमानी हो लिया जाए” कविता सुनाई|
अर्चना मंडलोई ने “ओ मानस के हंस राज यश कीर्ति तुम फिर लौट आना” प्रस्तुत की। रमेश शर्मा ने “सावन तन भींग न पाया इस सावन मनमीत ना आया “कविता सुनाई।सुषमा व्यास राजनिधि ने’ ख्वाबों में जो बसा है उसे खुलकर जीने दो कविता सुनाई|
वहीं डॉ नितिन उपाध्ये ने “बोलो बोलो गणपति लेकर थाली हाथ में खाली पूछ रही पार्वती” और शिवाजी पर “मर्द मराठों की हवाओं से शर्त थी बिजली नसों में घोल रही” कविता से वीरता का रस घोल दिया|
डॉ . सीमा उपाध्ये ने भी सुमधुर स्वर में गीत की प्रस्तुति दी| डॉ सीमा उपाध्ये ने अपनी एक पेंटिंग इंदौर के साहित्यकारों को भेंट की|
कार्यक्रम का संचालन सुषमा व्यास राजनिधि’ ने किया| संपूर्ण कार्यक्रम अपनेपन ,स्नेह और सौहार्द से भरा हुआ था|