वर्षा कोस्टा, मुंबई , जिसे सींचा लहू से है वो यूँ खो नहीं सकती, सियासत चाह कर विष बीज हरगिज बो नहीं सकती, वतन के नाम पर जीना वतन के नाम मर जाना, शहादत से बड़ी कोई इबादत हो नहीं सकती.