वंदना दुबे, ओल्ड पलासिया, इंदौर , चलो आज फिर से वो नजारा याद कर लें, शहीदों के दिलों में थी जो ज्वाला उसे याद कर लें, जिस कस्ती में सवार हो आजादी पहुंची थी किनारे पर, उन देशभक्तों के खून की वह अविरल धारा याद कर लें