संध्या राणे, देवी अहिल्या मार्ग, इंदौर,

जिसे सींचा लहू से है वो यूँ खो नहीं सकती,

सियासत चाह कर विष बीज हरगिज बो नहीं सकती,

वतन के नाम पर जीना वतन के नाम मर जाना,

शहादत से बड़ी कोई इबादत हो नहीं सकती.

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