किरण अवस्थी, इंदौर , चिंगारी आजादी की सुलगी मेरे जश्न में हैं, इन्कलाब की ज्वालाएं लिपटी मेरे बदन में हैं, मौत जहाँ जन्नत हो ये बात मेरे वतन में हैं, कुर्बानी का जज्बा जिन्दा मेरे कफन में हैं.