डॉ. प्रतिभा जैन

 (होम्योपैथ डॉक्टर, लेखिका, अष्टमंगल  मेडिटेशन शिक्षिका होने के साथ ही मन की थाह नाम से लोकप्रिय पॉडकास्ट भी करती हैं।)

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गुरु बिन  मेरा ज्ञान अधूरा, बिन गुरु मेरा प्रयास अधूरा 

गुरु  चरणों में शत-शत  नमन ।वह मनुष्य अद्भुत है , अद्वितीय  है उनकी शिक्षा, उनकी शिक्षित करने की कला कि वह पत्थर रुपी शिष्य  को एक सुंदर कलाकृति में गढ़  देते हैं  । दुनिया को चलाने में, व्यवस्था, घर परिवार, हर छोटे से बड़े  व्यवसाय को संचालित करने में जो नायक  या मुखिया होता है….उस नायक को नायक बनाने में गुरु का अथक प्रयास और कड़ी  मेहनत होती है । छात्र की कमियों को भी किस तरह  अवसर में बदल देना ,उसके कौशल को पैनी धार देना, एक गुरु ही कर सकते हैं । आप कितने ही बड़े  हो जाओ ,चाहे उम्र या ज्ञान या वैभव  से ,परंतु  जीवन के हर पड़ाव पर मुसीबतों का सामना करना ही होता  है और उस समय गुरु ही आपको याद आते हैं तथा वही आपको सही राह दिखलाते  हैं । गुरु की शक्ति व आशीर्वाद  इतने प्रबल होते हैं  कि जब उनके ना होने पर यदि  सच्चे  मन से उनको  याद करते हैं , तब  दुविधा का हल  अपने-आप मिल जाता है । कर्म तो हम करते हैं,परंतु राह  गुरु दर्शाते हैं और उनके द्वारा बताई गई राह पर चलने से परेशानियों को हम सरलता  से सुलझा सकते हैं तथा  नित नई  कामयाबी पा सकते हैं  ।

अन्त में गुरु  चरणों में अर्पित कुछ पंक्तियाँ:

है गुरुवर  वंदन  आपको

है गुरुवर नमन आपको

मेरे लक्ष्य तक पहुँचाया मुझे

बारंबार अभिवादन आपको !

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