प्रशांत रायचौधरी*

एक अच्छे प्रोग्राम को श्रोताओं का कैसा समर्थन मिलता है वह रविवार को *इंदौर के जाल सभागृह* में आयोजित *दिल से दिल तक* कार्यक्रम में देखने को मिला। प्रोग्राम के दौरान कई बार लाइट गई लेकिन दर्शकों ने कुर्सियां नहीं छोड़ी क्योंकि वे एक अच्छे प्रोग्राम के गवाह थे। रॉक स्टार सिंगर *तरुण गुप्ता* ने अंधेरे में ही जैसे ही आह्वान किया कि मेरे साथ गाइए *पल पल दिल के पास तुम रहती हो* तो सारा हॉल पहली पंक्ति से लेकर आखरी पंक्ति तक के श्रोता साथ में गाने लगे। *समां है सुहाना सुहाना* भी इसी अंदाज में हॉल में गुंजा।
दर्शकों के कार्यक्रम से बांधे रखने में कार्यक्रम के संचालक *हिमांशु पुराणिक* का महत्वपूर्ण योगदान है। वे पूरे कार्यक्रम के दौरान खड़े रहे और मंच में अपने फुटवर्क से प्रोग्राम को गति देते रहे। वे तरुण गुप्ता को रॉकस्टार बता रहे थे लेकिन वे जब किशोर कुमार का गाना गाते थे तो तरुण से ज्यादा रॉकस्टार लगते थे।
कार्यक्रम में तरुण गुप्ता, हिमांशु पुराणिक, सपना भाटी और दिव्या मंडलोई सभी ने खूब तालियां बटोरी। *तरुण ने किशोर कुमार* को खूब अच्छे से निभाया। *देखा ना हाय रे सोचा ना हाए रे/अरे दीवानों, मुझे पहचानो, मैं हूं डॉन/सारा जमाना* *हसीनों का दीवाना/*, जैसे जोशिले गाने गाए। रिमझिम गिरे सावन गाने में भी उन्हें खूब दाद मिली। इसके अलावा डुएट में *जाने कैसे कब कहां इकरार हो गया* ( *_सपना भाटी के साथ*_ ), *चांदनी रात में एक बार तुझे देखा हे*( _*सपना भाटी के साथ*_ ),/ *अब के सावन में भी गिरे* / *पन्ना की तमन्ना है हीरा मुझे मिल जाए*( _*दिव्या मंडलोई के साथ*_ ). *को खूब पसंद किया गया। दिव्या मंडलोई ने लता मंगेशकर को और सपना भाटी ने आशा भोंसले को बखूबी निभाया।
एंकर हिमांशु पुराणिक कार्यक्रम में छाए रहे। मुसाफिर हूं यारों गाने से उन्होंने वाहवाही लूटी और फिर सपना भाटी के साथ *जाने कैसे कब कहां इकरार हो गया* और दिव्या मंडलोई के साथ *हवा के साथ साथ घटा के संग संग* गाकर महफिल लूट ली।
सभी गानों का वर्णन संभव नहीं है लेकिन यह जरूर है कि गानों का चयन श्रोताओं को बांधे रखने के लिए काफी था शायद इसीलिए हॉल खचाखच भरा हुआ था। संगीत लहरी संगीत समूह ने वाकई में एक अच्छा कार्यक्रम आयोजित किया।

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