मनोरमा जोशी

जन्म -नरसिंहगढ
निवास – इन्दौर ।
शिक्षा- म्यूजिक मे पीजी ।
लेखन विधा- कविता कहानी , कई पत्र पत्रिकाओं मे प्रकाशन ।
मालवा थियेटर मंच पर नाटक मंचन , समाज सेविका।
सम्मान
भोपाल से राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान
हिन्दी साहित्य सभा से
शिरोमणी सम्मान
समाज से चहुमुंखी प्रतिभा सम्मान सुशीला देवी सम्मान
————————-
लोकगीत
लोक समुदाय की धरोहर है। जब से भाषा की उत्पत्ति मनुष्य सामाजिक बना ,तभी से इसका ,प्रादुर्भाव हुआं ।भारत में भाषा का अंतर अवश्य है किंतु जन समुदाय के द्धारा गाये जाने वाले परम्परागत ,गीतों को हम लोकगीत कहते हैं ।इसमें ग्राम गीत प्रमुख हैं ।लोकगीतों पर व्यक्ति विषेश की छाप नहीं रहती है यह नहीं कहा जा सकता कि अमुक गीत का रचियता अमुख व्यक्ति है। ये पीढ़ी दर पाढ़ी अपनाये जाते हैं। कालान्तर में व्यक्ति विशेष की छाप हट जाती हैऔर समस्त लोक की संपत्ति हो जाती है। उसमें समस्त लोक आत्मा बोलती है इस प्रकार सारे लोक का अपनत्व हो जाता है ।इसमें मानवीय दुर्बलताके चिन्ह भी हैं जैसे जनमानस भोला होता है।मन की सच्चाई इसमें झलकती है किसी प्रकार का छल कपट नहीं है ।यह यथार्थ के समीप है ।इसमें अनुभूति है इसके शब्द ह्रदयस्पर्शी होते हैं । यह अपनत्व और प्रेम को व्यक्त करते हैं ।इन गीतों के कथन में ,चमत्कार भी होता है किन्तु इसमें दिमाग और बुद्धि की कसरत नहीं होती इसमें काव्यात्मक ,कल्पनाओं की उड़ानें,नहीं होती लोकगीत में सीधासाधा पन होता है किन्तु भावों से लबालब,भरे होते हैं और मन को आंदोलित कर देने की अपार शक्ति होती है ।इसमें प्रश्न और उत्तर भी मिलते हैं, जिससे आकर्षण और जिज्ञासा होती है सरलता भी रहती है ।अनेक विषय लोकगीत के रहे हैं ।आज की प्रयोगवादी कविता भी ,विस्तार क्षेत्र की दृष्टि से,लोकगीत का अनुसरण ,कर रहीं है क्योंकि यह जीवन में प्रयुक्त अनेक ,विषयों वस्तुओं को अपना रहीं है लोकगीत में स्थायी अधिकतर चलती है। अंतरे का प्रयोग कुछ गीतों में चलता है ।भारतीय लोकगीतों में समृद्धि का चित्रण बहुत अधिक है ,यह लोकजीवन आशा ,और उत्साह से भरा होताहै ।समृद्धि के विचार से ,हमारे सामने उसका रूपएंव लक्ष्य होता हैं ।इन गीतों में सोना चाँदी ,हीरा मोती कीमती वेष भूषा ,का समावेश होता है। अलंकार का चित्रण एवं स्त्रियों द्धारा विनती,मनुहार होता है सजावटसौन्दर्य सौख्य देती है ।इसमें जीवन में सरसता ,प्रसन्नता रहती है कला और प्रेम स्वभाविक भी है।प्रेम और यौवन के चित्रण भी गीत में रहते है जो प्राकृतिक एवं सुखद है ।आत्मीयता इसके प्रमुख गुण है भावुकता का इसमें अक्षय भंडार है।पारिवारिक ,सामाजिक प्रेम उनकी अनुपम विषेशता है । त्यौहारों ,उत्सवों के साथ साथ इनका अविछिन्न और अटूट सबंध है ।विदेशी सभ्यता एवं संस्कृति के प्रभाव को इन्होंने किसी सीमा तक रोके रखा है।लोकगीत भारत की हमारी संस्कृति की आत्मा है मन मोहक है ।