सुरेखा सरोदे,

बाबा आज तुम, बहुत याद आ रहे हो
आँखों से बहती अश्रुधारा को मोती बनकर बरसा रहे हो l
बताओ ना बाबा इतना क्यूं रुला रहे हो l
अनमोल हीरे थे, तुम जिंदगी के मेरी
जान ना पायी कभी रहते तुम्हारे l
तराशते रहे मेरी खुशियों को सदा,
न की कभी अपनी खुशियों की परवाह l
याद आ रहे हैं, हर एक अल्फाज तुम्हारे
तेरी खुशियाँ है, मुझे सबसे प्यारी
क्यूं की तु बेटी है मेरी, जान से भी प्यारी
लडूंगा दुनिया से वास्ते तेरे,
खुशियो से भर दूंगा, सब तेरे रास्ते l
बाबा आज तुम बहुत याद आ रहे हो
बताओ ना इतना क्यूं रुला रहे हो
कितना बेपनाह चाहा था, तुमने मुझे,
दर्द को सहते हुए भी, मुझे हीं पुकार रहे थे l
कितना विश्वास था मुझ पर तुम्हारा,
दूर होकर भी मुझे कभी दूर होने ना दिया l
आज तुम इतना क्यूं याद आ रहे हो,
बताओ ना इतना क्यूं रुला रहे हो l
बेटा समझकर पाला हमें,
फर्क ना किया तुमने कभी l
बेटों से भी ज्यादा चाहा हमें,
कामयाबी को सदा सराहा हमारी l
ईमानदारी का पाठ पढाया हमें,
मेहनत पर भरोसा करना सिखलाया हमें l
अभावों की कमी को खुशियों से भर दिया तुमने l
हमें तन्हा छोड़कर, किस दुनिया में चले गये हो तुम,
22 बरस गुजर गये, तुमसे बिछड़े हुए l
बस आज क्यूं इतना याद आ रहे हो
बताओ ना इतना क्यूं रुला रहे हो l