दुर्गेशनंदिनी चौधरी,

सीधी सरल  मेरी माँ, पानी सी तरल मेरी माँ।

जलेबी सी नहीं मेरी माँ, हाँ उसकी चाशनी सी मीठी मेरी माँ

बातों के बतासे नहीं बनाती पर ज्ञान की गंगा बहाती मेरी माँ ,

घुमावदार सीढ़ियों पर चढ़ने का शौक नहीं

पर सीधी राह पर चलने का शौक रखती मां,

अन्याय का  विरोध क्रोध करके

नहीं करती माँ

हाँ मौन रहकर सब कुछ प्रकट करती माँ ,

ज़मीन पर नजरें गड़ा आसमान को छूना सिखाती माँ,

माँ तुझे प्रणाम शत-शत क्योंकि

तुझसे ही है ,मेरा नाम

वरना मैं रह जाती अनामिका

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185/A सुदामा नगर

अन्नपूर्णा सेक्टर , इंदौर

5 Comments

  • Surekha sarode, June 30, 2022 @ 3:34 am Reply

    Awesome

  • Sunanda, June 30, 2022 @ 4:28 am Reply

    Maa jaisa koi nahi,meri maa ek Devi hai,saral nischal prem ki murti,swasth rahi maa tum yahi kamna hai

  • श्रीमती रश्मिता शर्मा, June 30, 2022 @ 9:35 am Reply

    बहुत-बहुत ही सुन्दर रचना जीवन का सत्य है माँ , शत् -शत् नमन 🙏🏻🌹

  • श्रीमती रश्मिता शर्मा, June 30, 2022 @ 9:39 am Reply

    बहुत सुन्दर रचना जीवन का सत्य है माँ, सादर नमन

  • रागिनी शर्मा, June 30, 2022 @ 12:56 pm Reply

    बहुत सुंदर

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