दुर्गेशनंदिनी चौधरी,
सीधी सरल मेरी माँ, पानी सी तरल मेरी माँ।
जलेबी सी नहीं मेरी माँ, हाँ उसकी चाशनी सी मीठी मेरी माँ
बातों के बतासे नहीं बनाती पर ज्ञान की गंगा बहाती मेरी माँ ,
घुमावदार सीढ़ियों पर चढ़ने का शौक नहीं
पर सीधी राह पर चलने का शौक रखती मां,
अन्याय का विरोध क्रोध करके
नहीं करती माँ
हाँ मौन रहकर सब कुछ प्रकट करती माँ ,
ज़मीन पर नजरें गड़ा आसमान को छूना सिखाती माँ,
माँ तुझे प्रणाम शत-शत क्योंकि
तुझसे ही है ,मेरा नाम
वरना मैं रह जाती अनामिका
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185/A सुदामा नगर
अन्नपूर्णा सेक्टर , इंदौर
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