फादर्स डे- संध्या  रायचौधरी

    मेरे पापा

सारी दुनिया कहती है कि पापा आप इस दुनिया में नहीं हो, लेकिन मैं इसे कैसे सच मान लूं क्योंकि आप तो मेरे साथ हर पल हर दिन हर जगह हो। मेरा यह अहसास ताउम्र रहेगा कि जब मैं अपने पांव पर पहली बार चली थी तो आपने ही मेरी उंगली पकड़ी थी मां ने वो तस्वीर दिखाई थी, आज तक मेरे बटुए के पहले खांचे में रखी है। उसके बाद मेरे हर कदम पर आप अपने कदम मिलाकर चलते थे। मम्मी मुझे नहलाने के लिए उठाने आती तो आप अपनी दोनों बाहों में कैसे मुझे छिपा लेते थे और फिर आपकी पीठ पर लटककर ही मैं मम्मी के साथ जाती थी। आपके ऑफिस जाने का जैसे ही समय होता था मेरी हिचकियां शुरू हो जाती थीं, दादी कितने बहाने बनाकर मुझे उस समय वहां से ले जाने की कोशिश करती थी लेकिन मैं आपका जाना कितना मुश्किल कर देती थी। जब तक आप अपने स्कूटर पर आगे मुझे खड़ा करके एक चक्कर नहीं लगवा देते थे तबतक मैं रोती ही रहती थी। पापा मुझे सब याद है आप कहते थे मेरी प्यारी छुटकी, तो मम्मी गुस्से में कहती थीं अब ये छुटकी नहीं रही बड़ी हो गई है। मुझे पता ही नहीं लगता था कि मेरी लंबाई कैसे रोज बढ़ती चली जाती थी।मैं लाड़ से आपके गले लगती तो मम्मी की आंखों में गुस्सा दिखाई देता। मुझे आपके साथ ही सोना अच्छा लगता था, आपके बड़े पेट पर गोल-गोल उंगलियां घुमाते-घुमाते ही मुझे नींद आती थी लेकिन मम्मी मुझे खींचकर उठा देती थी। पापा, उसके बाद से मुझे कभी सुकून की नींद नहीं आई मैं जीभर कर आज तक नहीं सो पाती हूं।  पापा आपने एक  दिनकहा कि अरे मेरी छुटकी इतनी बड़ी कैसे हो गई अब वह हमेशा के लिए इस घर से विदा हो जाएगी,यह सुनकर मैं कितना ज्यादा रोई थी यह मैंने आज तक किसी को नहीं बताया आज सिर्फ आपको बता रही हूं कि उस दिन मुझे लगा कि अपने पापा को जिसे मैं इस संसार का सबसे अच्छा इंसान मानती हूं वह मुझे अपनी आंखों से दूर कैसे कर सकता है? मेरी विदाई पर आपने एक बूंद नहीं टपकाया लेकिन मुझे पता था मेरे जाने के बाद आप न तो किसी से कुछ बात करोगे और न ही कुछ खाओगे, यह बात मम्मी ने मुझे बता दी थी। मेरी छुटकी को भी आपने छुटकी ही कहा , मेरी छुटकी को भी अपने पापा के पेट पर हाथ घुमातेघुमाते नींद आती थी.

लेकिन पता नहीं कैसे मैं मां जैसी बन गई मैंने छुटकी को खींचकर उसके पापा से अलग कर दिया वह खूब पांव पटकपटक कर खूब रोई लेकिन मैं मां जैसी ही बनी रही। मेरी छुटकी की विदाई हो रही है मैं आज आप बन गई हूं मुझसे एक दाना भी मुंह में नहीं डाला गया। सब जानते हैं छुटकी के जाने के बाद मैं दरवाजा बंद कर अंदर बैठी रहूंगी क्योंकि अब मैं आप हूं। हां पापा, सब यही कह रहे हैं कि ये तो बिलकुल अपने पापा जैसी है । इसीलिए तो आप कहीं नहीं गए हो मेरे साथ हो और हमेशा मेरे साथ रहोगे।

आपकी

छुटकी

8 Comments

  • Hemlata Sharma BHOLI BEN, June 19, 2022 @ 5:00 am Reply

    हृदय स्पर्शी ❤️

  • अदिति सिंह भदौरिया, June 19, 2022 @ 5:30 am Reply

    बेहद भावुक और आत्मीय लेख

  • संध्या, June 19, 2022 @ 5:51 am Reply

    बहुत-बहुत बढ़िया!

  • pooja Trivedi, June 19, 2022 @ 8:06 am Reply

    Heart touching 👌👌

  • माधुरी शुक्ला (कोटा ), June 19, 2022 @ 8:52 am Reply

    बहुत खूब ,पापा के लिए लिखा गया यह खत हर बेटी के द्वारा लिखा आपने पिता को लिखा गया है जैसे । इसके एक एक शब्द मेरे अंतर्मन मे उमड़ रहे भावो की छुकर् जा रहे। बहुत ही भावुक कर देने वाला है। मर्म स्पर्शी रचना है एक बेटी के अपने पिता की लिए जो स्नेह ,प्यार और अम्न त्व है सब कुछ बया कर दिया। अगर में अपने पापा को खत लिखती तो जरूर यही शब्द और भाव होते। बहुत बहुत बधाई दीदी एक सूंदर रचना रचने के लिए । 🙏💐

  • संध्या जोशी, June 19, 2022 @ 9:10 am Reply

    सचमुच संध्या जी निशब्द हो गई मैं तो कितना अच्छा लिखा है आपने सिर्फ पापा ही नहीं आप तो ग्रुप में हम सब की मां मित्र और बहन भी बन गए हैं आपको कोटि-कोटि नमन

  • Ragini, June 20, 2022 @ 2:12 pm Reply

    बहुत सुंदर

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