पुरकशिश आवाज से श्रोता अंत तक बंधे रहे
प्रशांत रायचौधरी
इंदौर। शनिवार की शाम प्रीतमलाल दुआ सभागार में एक अलहदा अहसास से रूबरू करवा गई। अभिरुचि द्वारा प्रायोजित ये कौन चित्रकार है कार्यक्रम में पुरकशिश आवाज के सहारे 6 सिंगर्स ने अंत तक श्रोताओं को बांधे रखा। ढलती उम्र के सभी गायकों एमके अनवर,ऱवि शर्मा,सुनील खोत, माला स्टीफंस,नंदिनी कुलकर्णी के साथ इनसे उम्र में कम स्मिता पानसे को गाते देख कर लगा कि सभी काफी मेहनत एवं प्रैक्टिस के बाद स्टेज पर आते हैं और श्रोताओं को वो खुशी देते हैं जो लंबे समय तक टॉनिक का काम करती है। संचालन कर रही मोना ठाकुर ने भी बीते समय के गानों की खूबियां बताकर कार्यक्रम को अत्यंत रोचक बना दिया । संगीत संयोजन में अभिजीत गौड़ व उनकी टीम ने तारीफे काबिल काम कर कई बार तालियां बटोरी। कार्यक्रम अनुशासित तो था ही अतिरिक्त कुर्सियां भी लगवाई गई थीं , जिससे जाहिर होता है कि इंदौर के श्रोता संगीत के ऐसे मनभावन कार्यक्रम में बहुत रुचि लेने लगे हैं।
एमके अनवर ने दिल जो न कह सका,वही राजे दिल,कहने की बात आई गाकर दाद बटोरी थी तो माला स्टीफंस ने 62 साल पुराना गीत तेरा जादू न चलेगा वो सपेरा गाकर खूब तालियां बटोरी। सोलो गाने में नंदिनी कुलकर्णी ने कहे झूम-झूम रात ये सुहानी व मोरा बालम बेदर्दी गाकर व रवि शर्मा ने टाइटल गाना ये कौन चित्रकार है गाकर तालियां बटोरी। रवि शर्मा ने तारों पे सजके अपने सूरज को भी बढ़िया गाया। मुकेश को निभाने की उन्होंने पूरी कोशिश की। सुनील खोत ने पहले मिले थे सपनों में गाकर बढ़िया समां बांधा। उन्होंने माला स्टीफंस के साथ सुनरी सजन, पवन पुरवैया भी बखूबी गाया।डुएट में एमके अनवर व माला स्टीफंस की जोड़ी ने तुम तो प्यार हो सजना को खूब अच्छे से गाया। अनवर और नंदिनी कुलकर्णी की जोड़ी का गाना फूल बन बन जाऊंगा शर्त ये है मगर..श्रोताओं को बहुत पसंद आया। अपने समय के सदाबहार गाने गाकर सभी गायकों ने खूब वाहवाही लूटी। सभी गानों का वर्णन संभव नहीं है। इतना कहा जा सकता है कि बहुत कम प्रचार से भी एक अच्छा कार्यक्रम अनुशासित एवं सुरुचिपूर्ण तरीके से इस तरह किया जा सकता है।