डॉ. प्रतिभा जैन
(होम्योपैथ डॉक्टर, लेखिका, अष्टमंगल मेडिटेशन शिक्षिका होने के साथ ही मन की थाह नाम से लोकप्रिय पॉडकास्ट भी करती हैं।)
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पिता-हरा भरा वृक्ष है
पिता,जब यह शब्द सुनते हैं, पढ़ते हैं या सोचते हैं, तब एक सख्त दिल, धीर- गंभीर, कभी न थकने वाला ,घर में सबकी इच्छाओं की पूर्ति करने वाला ,घर की छोटी-बड़ी आपदाओं में सबसे आगे खड़े रहने वाला ,कभी ना रोने वाला ,अपने वंश का नाम रोशन करने वाला -एक मजबूत दृढ़ इंसान की छवि सामने अनायास ही उभर आती है ।
परंतु, उस कठोर दिल मानव के दूसरे पहलू को अधिकतर हम नजरअंदाज कर देते हैं ।उसके दिल पर से सख्ती का आवरण यदि हटाएँगे तब वात्सल्यमयी और भावुक शख्स दिखाई देगा जो स्वयं की कितनी ही आकांक्षाओं को मारकर जुट जाता है धन अर्जित करने के लिए, ताकि घरवालों की इच्छा व सपनों को पूरा कर सके। वास्तव में,पिता का सपना ही यह होता है कि प्रत्येक घरवालों के सपनों को पूरा कर सकें।
तेज बारिश हो या कड़ी धूप या सर्द ठंड-कुछ नहीं रोक सकता इन्हें अपना कर्म करने से।यदि माँ शीतल छाँव हैं तो पिता हरा-भरा वृक्ष जो हमें फल देता है। इनको भी रिश्तों की गर्माहट,प्यार की बौछार ,अपनेपन की ताजी हवा और आदर की खाद दीजिए क्योंकि वृक्ष है तो छाँव है और फल है ।
पापा आपको ढ़ेर सारा प्यार ।
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