मनीषा व्यास

( शिक्षिका व लेखिका होने के साथ मंचीय कवियित्रि, उत्कृष्ट प्रस्तोता हैं। प्रोफेशनल संचालन में कुशल।)

   तैरना सीखना है तो पानी में उतरना होगा

विद्यार्थी पानी से जुड़ेगा तब ही तो तैरने की कला में बाजी मारना सीखेगा।सच्ची शिक्षा बालक के मन के अंदर छिपे भावों को जागृत करना होता है। उसका मन कच्ची मिट्टी के समान है।आकार हमें देना है। विद्यार्थी कहीं और से नहीं अपने माता पिता से ही सीखना आरंभ करता है। और अभिभावक का प्रतिबिंब बनकर समाज के सामने दिखाई देता है।आप जैसा मोड़ देंगे वैसा ही उसका स्वरूप दिखेगा।उसके मन की अभिलाषा को उड़ान आप ही को देना है।ताकि समाज में सकारात्मकता के साथ अपने आप को स्थापित कर सके।

कहते हैं न बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से आए।

पहला कदम अभिभावक की परवरिश का है  फिर वही प्रतिबिंब आपके सामने दिखाई देगा।

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