मनीषा व्यास
शिक्षिका व लेखिका होने के साथ मंचीय कवयित्री ,उत्कृष्ठ प्रस्तोता।प्रोफेशनल संचालन में कुशल हैं।
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शिष्टाचार शिक्षा का आवश्यक अंग………..
विद्या से ही विनम्रता आती है।यही विनय शीलता जीवन में हर पल काम आती है।केवल बड़ी डिग्रियां हासिल कर लेना और अपने आप को श्रेष्ठ समझना ,विद्या प्राप्त कर लेना नहीं है।आपके बात करने का तरीका और आपका व्यवहार आपकी असली ताकत होता है।
आपके बोलने से ही पता चल जाता है कि आप कितने बुद्धिमान हैं।
यहां कबीर दास जी उदाहरण सटीक दिखाई देता है।
कागा काको धन हरे,
कोयल का को देय,
मीठे वचन सुना के जग अपना कर लेय।
आपके व्यवहार से ही आप पूरी दुनिया को अपनी मुट्ठी में कर सकते हैं।
आपको अपने जीवन में विनम्रता को आचरण में उतारना होगा आप जैसा व्यवहार अपने बड़ों और छोटों से करेंगे वैसा ही व्यवहार और सम्मान आपको मिलेगा।
सही अर्थों में विद्या विनम्रता सिखाती है।जो जितना पढ़ा लिखा होता है वो उतना ही विनम्र होता है।
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