डॉ. प्रतिभा जैन, इन्दौर
(होम्योपैथ डॉक्टर, लेखिका,अष्टमंगल मेडिटेशन शिक्षिका होने के साथ ही मन की थाह नाम से लोकप्रिय पॉडकास्ट भी करती हैं।)
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माँ
महिला और खासकर जब एक माँ के संदर्भ में बोला अथवा लिखा जाता है, तब अमूमन उसे कमज़ोर ,अति भावुक ही समझा जाता है,परंतु सत्य यह है कि बच्चों की परवरिश,बच्चों के निर्णय ,और बच्चों के लिये निर्णय लेने में एक माँ की भी उतनी ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है ,जितनी की एक पिता की होती हैं ।
कहते हैं-
हर सफल आदमी के पीछे एक महिला होती है ,और इसके साथ ही साथ यह भी उतना ही सत्य है कि , हर महान इन्सान के पीछे एक माँ का अशीष होता है ; इस वाक्य को सिद्ध करती है भारतीय इतिहास की महान माँएँ ,जैसे – ताराबाई, जो मराठाओं के लिये मार्गदर्शक बल थी ।जीजाबाई , शिवाजी को गढ़ने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी । रानी लक्ष्मीबाई, जो बहादुरी और मातृत्व की ज्वलंत दृष्टांत हैं ।
बात जब बच्चे की होती है तब विश्व की हर माँ , केवल माँ होती है । ना वह देवी होती ना वह असुरा , न मॉडर्न न घरेलू , न रईस न गरीब,न इंसान न जंतु … वह सिर्फ एक माँ होती है।
वह अगर डाँटती-मारती है तब दुलारती भी वही है । यदि बच्चे गलती करें तो कठोर भी हो जाती है ।न जाने कैसे हर दुख को ताड़ जाती है ,फिर उसे मिनटों में ही सुलझा देती है ।
माँ कितनी पवित्र ,निर्मल बच्चों के लिये ,इश्वर द्वारा रचित एक बहुमुल्य भेंट हैं ।
अंत में कहना चाहूँगी-
मेरा आत्म संबल है
मेरी पहचान है
तू है तो मैं हूँ
तेरे बिन ,
मेरा जन्म नहीं ,मेरा वजूद नहीं ।
माँ तुझे प्रणाम