मानो सुरों के समुद्र में ज्वार आ गया हो   

इंदौर। संगीत संस्था soulful strings ने प्रीतमलाल दुआ सभागृह में रविवार को सुरों की ऐसी सुरीली जाजम बिछाई की श्रोता तय नहीं कर पाए कि कौन सा सिंगर सबसे अच्छा है । एक के बाद एक सदाबहार गीतों के गुलदस्ते से एक-एक सुरीले फूल की खुशबू बिखरती रही और  श्रोता मंत्रमुग्ध हो उस सुगंध में सराबोर होते रहे।पहले गीत से लेकर अंतिम गीत तक एक जैसे कर्णप्रिय सुर लगा मानो सुरों के समुद्र में ज्वार आ गया हो,और श्रोता चाह रहे थे इस ज्वार में अंत तक कमी ना हो,और हुआ भी ऐसा ही हुआ । बहुत दिनों बाद ऐसी मधुर महफ़िल जमी।

हॉल में बैठे श्रोता कहते  नीता दास  कितना बढ़िया गा रही हैं, तो दूसरे गाने पर कह उठते  अरे ममता रघुवंशी  और बढ़िया गाया, कभी कहते  प्रतिभा सक्सेना  ने तो कमाल कर दिया ..और विनीता पांडे  वो भी कुछ कम नहीं हैं।

कभी  नीता कभी प्रतिभा कभी ममता, कभी विनीता यही नाम गूंजते रहे। इन गायिकाओं का भरपूर साथ दिया आशीष जैन और अभिषेक वेद ने।

हर बार की तरह मोना ठाकुर की एंकरिंग लाजबाव रही। अभिजीत गौड़ की टीम में शामिल संगतकारों  ने भी खूब साथ

निभाया।

  कुछ मधुर गीतों की बानगी

दूरियां नजदीकियां बन गईं …अजब इत्तेफाक है-आशीष जैन, नीता दास

गुमनाम है कोई -प्रतिभा सक्सेना

करवटें बदलते रहे -आशीष जैन, प्रतिभा सक्सेना

ओ बेकरार दिल हो चुका है मुझको आंसुओं से प्यार-

ले तो आए हो हमें सपनों के गांव में प्यार की छांव में बिठाए रखना

ममता रघुवंशी

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