रचना – Upmanas उपमा मानस
कोई लौटा दे,
वो अल्हड़पन,
वो लड़कपन,
वो बचपन,
कोई लौटा दे–
वो चुपके से बारिश के पानी में भीगना,
भीगकर पानी मे छपछपाना ,भरभर अंजुलि से सराबोर होना।
कोई लौटा दे वो शरारत–
पाठ शाला में पीछे दुबक के बैठना, सहपाठी की चोटी आपस मे बांधना,
कागज़ पर गाने लिख लिख एक दूसरे पर फेंकना।
कोई लौटा दे वो चुलबुलापन—-
गर्मियों की गर्म हवा में, नींबू पर नमक लगा लगा खाना, कबीट के चटखारे,
केरी की खटास पर चूना , उस पर नमक और मिर्च का लेपन ,
बेर और ईमली के बिना अधूरे लगे सारे नज़ारे।
कोई लौटा दे वो मासूमियत—
वो मटका कुल्फी, वर्फ़ के गोले लाल, हरे नीले , पीले।
रसोई से मिल्क पाउडर चुरा कर खाना पकड़े जाने पर,
मां से पिट पिट कर हो जाना लाल नीले।
कोई लौटा दे,
वो अल्हड़पन,
वो लड़कपन,
वो बचपन,
कोई लौटा दे,, कोई लौटा दे।

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