ईश्वर की अनुपम कृति और समस्त सृष्टि की जन्मदात्री नारी ने त्याग ,प्रेम , दया,करुणा जैसे समस्त नारीत्व के गुणों को स्वयं के व्यक्तित्व में सहेज कर शिक्षा के अलंकारों से जब स्वयं को अलंकृत किया तब नारी का व्यक्तित्व न सिर्फ पूजनीय वरन अनुकरणीय भी हो गया।
अर्पणा तिवारी जोशी
वर्तमान परिवेश में नारी नित नए आयामों को लेकर अपना इतिहास और अस्तित्व स्वयं रचने का सामर्थ्य लेकर गौरवान्वित है कि उसे श्रद्धा और विश्वास दोनों ही प्राप्त है,,,,,,,,
मत बांधिए मुझको मैं अपना आकाश चाहती हूं,
पंख लेकर हौसलों की ऊंची उड़ान चाहती हूं,,,,,
नाप लूंगी अवनि अंबर समन्दर सभी कुछ मैं
केवल श्रद्धा नहीं तुम्हारा विश्वास चाहती हूं,,,,,
एक छोटा सा गीत नारी शिक्षा और जागरण के नाम
अबला बनकर क्या पाया
बस तुमने नीर बहाया है
वनिता होकर भी तो अश्कों का
सागर ही लहराया है,
शिक्षा शस्त्रों का संधान करो
तुम सबला की तैयारी है
दुनियां देखे शिक्षित नारी
रूप बड़ा सुख कारी है,,,,,
कमजोर नहीं है कर तेरे
कंगन जिनमें सजते हैं
अधर तुम्हारे मधुशाला
हाला से ही लगते है,
कंगन वाले हाथो को अब
कलम लगे बड़ी प्यारी है
अधरो से बही अक्षर गंगा
हाला से मनोहारी है,
सबला की तैयारी है,,,,,,,,,,
क्यों आस करे तू गोविंदा
तेरी लाज बचाएंगे
अग्नि परीक्षा देकर ही
तुमको निर्दोष बताएंगे,
या ज्ञ सैनी तू अग्नि शिखा बन
दुनियां तुझसे हारी है
चीर बचाना सीखो अपना
अब ना तू बेचारी है,
सबला की तैयारी है,,,,,,
मंदिर में जाकर क्यों हम
चुनर भेंट चढ़ा ते है,
चरणों की रज धूलि लेकर
श्रद्धा शीश झुकाते है
खींचे दुपट्टा कोई तेरा
तू हवन कुंड की चिंगारी है
मत भूल स्वयं को
तुझसे जन्मी सृष्टि सारी है
सबला की तैयारी है,,,,
सतयुग से कलयुग तक
दोयम इतिहास के पृष्ठो पर,
प्रश्नचिन्ह प्रतिभाओं पर और
मौन रहे सब कष्टों पर
दीप जलाओ शिक्षा का
रात बड़ी अंधियारी है
हरदम चंदा मत बनना
अब सूरज बन जो तम हारी है,
सबला की तैयारी है,,,,,,,,,,