यदि लगन सच्ची हो, निश्चय दृढ हो, तो मंज़िलें मिल ही जाती हैं। इन्हीं पंक्तियों को चरितार्थ करती कहानी है उज्जैन जिले के छोटे से गाँव महिदपुर रोड़ के पोरवाल समाज की दो बेटियों यामिनी कारा और सलोनी कारा की। दोनों ने द इंस्टिट्यूट ऑफ़ सीए चार्टर्ड अकाउंटेंट फाइनल परीक्षा में सफलता प्राप्त कर पहली बार समाज में सीए बनने का गौरव प्राप्त किया है। दोनो चचेरी बहनें हैं। आइये जानते हैं दोनों से इस सफर के बारे में इस छोटे से साक्षात्कार के माध्यम से।
– यामिनी कारा
प्र.आपको सी.ए बनने पर बहुत-बहुत बधाई। आपने सी.ए को कैरियर के रूप में क्यों चुना?
उ.मुझे बचपन से ही प्रैक्टिकल सब्जेक्ट्स पढ़ना बहुत पसंद था और जैसे -जैसे मैं बड़ी हुई, मेरी रुचि फाइनेंस विषय में बढ़ने लगी। 11वीं और 12 वीं में जब मैंने एकाउंट्स पढ़ा तो मेरा रुझान और बढ़ गया। तभी मैंने निश्चय किया कि मुझे इसी क्षेत्र में आना हैं और सी.ए बनना है।
प्र. आपने तैयारी कैसे की, कितने घण्टे पढ़ाई की?
उ.मैंने अपनी पूरी तैयारी इंस्टिट्यूट के स्टडी मटेरियल से ही की। साथ ही साथ मैंने लगातार मॉक टेस्ट्स भी दिए जिससे मुझे काफी मदद मिली। मैं दिन में 14 से 16 घंटे पढाई करती थी।
प्र.स्वयं को motivate कैसे रखा?
उ.स्वयं को motivate रखने के लिए मैं हमेशा एक ही बात सोचती थी कि जब मैं सी ए बनूँगी तो मेरे माता-पिता के चेहरे पर एक अलग ही चमक और ख़ुशी होगी, उन्हें मुझ पर बहुत गर्व होगा। इसी कल्पना को मन में रखकर मैं स्वयं को motivate रखती थी और आज वो कल्पना भी साकार हो गई।
प्र.पढ़ाई के दौरान आपको क्या-क्या परेशानियाँ आईं और आप उनसे बाहर कैसे निकलीं?
उ.पढ़ाई के दौरान कई बार दूसरों के नकारात्मक रिजल्ट्स देखकर उदास हो जाती थी, कभी कभी आत्मविश्वास भी डगमगाने लगता था, लेकिन फिर हिम्मत जुटा कर इन सब बातों से उबर कर पढ़ाई में ध्यान लगाती थी। परीक्षा की तैयारी के कारण कई पारिवारिक आयोजनों से दूर रहना पड़ता था और त्योहारों पर भी नियमित पढ़ाई करती थी। सोशल मीडिया से भी दूरी बना ली थी। मेरा परिवार, शिक्षक और दोस्तों ने हमेशा मेरा हौसला बढ़ाया और इन परेशानियों से बाहर निकलने में मदद की।
प्र. आगे के क्या प्लान्स हैं?
उ.अब मैं एक अच्छी जॉब और करियर के लिए तैयार हूँ। अनुभव प्राप्त करने के बाद एक सी.ए फर्म खोलने का सपना रखती हूँ।
प्र. आपकी सफलता का श्रेय किसको देना चाहेंगी?
उ.मेरे सफलता का श्रेय मैं अपने गुरु श्री उत्तम स्वामीजी महाराज और मेरे माता-पिता को देना चाहूंगी जिनके आशीर्वाद से ही आज मैं यहाँ तक पहुँची हूँ। मेरे साथ मेरे माता-पिता ने भी बहुत मेहनत की है। उनके त्याग, समर्पण और प्रेरणा ने ही मेरे निश्चय को और दृढ बनाया और मैं अपने लक्ष्य तक पहुंच पाई।
प्र. सी.ए की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स को क्या संदेश देना चाहेंगी?
उ.सी.ए की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स को मैं यह संदेश देना चाहूँगी कि अगर आपने मन में कुछ करने की ठान ली है तो फिर उस से पीछे मत हटो। उस लक्ष्य को हासिल करने के लिए दृढ़संकल्पित होकर निरंतर प्रयास करते रहो। प्रॉपर प्लानिंग और स्ट्रेटेजी के साथ पढ़ाई करेंगे तो निश्चित ही सफलता प्राप्त होगी।
अब मिलते हैं सलोनी कारा से
प्र. आपको सी.ए बनने पर बहुत -बहुत बधाई। आपसे भी वही प्रश्न सी.ए को कैरियर के रूप में क्यों चुना?
उ.मैंने अपनी मौसी की बेटी को सी.ए के रूप में देखा और उनसे काफी प्रभावित हुई, तभी इस क्षेत्र के प्रति आकर्षित हुई और सी.ए बनने का लक्ष्य रखा।
प्र. आपने तैयारी कैसे की, कितने घण्टे पढ़ाई की?
उ. इसके लिए पढाई नियमित रखना पड़ती है। एक दिन और एक घंटा भी आप व्यर्थ नहीं गँवा सकते। सख्त समय प्रबंधन और टाइम टेबल बनाकर पढाई करती थी। अलग अलग विषय को पढ़ने के लिए समय को बाँट रखा था। कठिन लगने वाले विषय को अधिक समय देती थी। दिन में 10 घंटे तक पढा़ई करती थी।
प्र. स्वयं को motivate कैसे रखा?
उ.मैंने हमेशा अपने लक्ष्य पर ही ध्यान केंद्रित रखा। समय- समय पर मेरी मम्मी जो स्वयं एक बेहतरीन शिक्षिका हैं और मेरी दीदी दोनों मुझे प्रोत्साहित करती रहती थीं। जब कभी निराश हो जाती थी तो मुझे हिम्मत देती थीं।
प्र. पढ़ाई के दौरान आपको क्या-क्या परेशानियाँ आईं और आप उनसे बाहर कैसे निकलीं?
उ.सी.ए की पढाई के दौरान मुझे कई परेशानियाँ आईं। मैं एक छोटे से गाँव से हूँ जहाँ कोई कॉलेज भी नहीं है। अतः मुझे पढाई के लिए घर परिवार से दूर इंदौर आना पड़ा। अकेले ही सारी समस्याओं को सुलझाना पड़ता था। बीमार हो जाने पर भी स्वयं को संभालना पड़ता था। घर परिवार से दूर रहना किसे अच्छा लगता है पर दृढ निश्चय और धैर्य से सब संभव हो गया।
प्र. आगे के क्या प्लान्स हैं?
उ.शुरूआती तौर पर मैं एक अच्छी कंपनी में नौकरी करना चाहती हूँ। अभी मैं कैंपस प्लेसमेंट की तैयारी कर रही हूँ। ऑफलाइन भी आवेदन कर रही हूँ। अच्छा ऑफर मिलने पर शीघ्र ही करियर की शुरुआत करना चाहूँगी।
प्र. अपनी सफलता का श्रेय किसको देना चाहेंगी?
उ.मेरी सफलता का श्रेय मैं अपने मम्मी- पापा को देना चाहूँगी, विशेष रूप से अपनी मम्मी को क्योंकि CA बनने का सपना मैंने अपनी मम्मी की आँखों से ही देखा है। मेरे मम्मी- पापा ने मुझे काफी संघर्षों से पढ़ाया है और उनकी मेहनत, लगन और मुझ पर किए गए विश्वास के कारण ही मैं आज यहाँ तक पहुँच पाई हूँ।
प्र. सी.ए की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स को क्या संदेश देना चाहेंगी?
उ.सी.ए की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स को मैं यह संदेश देना चाहूँगी कि पढाई में नियमितता बहुत ज़रूरी है और इस नियमितता को टूटने न दें, अच्छा समय प्रबंधन कर पढाई करें और अपने लक्ष्य को लेकर समर्पित रहें तो सफलता दूर नहीं।
( प्रस्तुति – पिंकी तिवारी)