नारी एक ईश्वरीय कृति है जिसके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती ।नारी सिर्फ पुरूष की पूरक ही नहीं एक नवीन सृजन की जननी भी है ।
प्रो . डॉ. उषा गौर (रि.)
होल्कर विज्ञान महाविद्यालय , इंदौर
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं के अधिकार , अस्तित्व , अस्मिता , मान्यता , और प्रमुखता प्राप्त करने के संघर्षों के बारे में जानने और उनका आकलन करने का दिवस है , जो याद दिलाता है कि इस ब्रह्मांड के सृजन में महिलाओं का भी उतना ही अहम योगदान है जो पुरूषों का है ।
सही मायनों में महिला दिवस की सार्थकता तब होगी जब उन्हें शारिरिक व मानसिक रूप से समानता का दर्जा मिलेगा जब महिला को अबला या देवी नहीं बल्कि उसके शक्ति स्वरूप को स्वीकारा जायेगा। किसी दिवस विशेष का महत्व यह होता है कि आप आकलन कीजिये आप कल कहां थी आज कहां हैं और यदि आपने कोई मुकाम हासिल कर भी लिया है तो क्या ये चिरकाल तक टिक पायेगा ।
वर्तमान में अपने अस्तित्व के महत्व को बताने की जताने की महती आवश्यकता है जिसे महिला दिवस का रूप देकर एक मौका दिया जाता है । एक मंच पर अपने विचारों के आदान प्रदान का ये मौका है उन्हें प्रोत्साहित करने का जिन्होंने अपना जीवन किसी विशेष लक्ष्य को लेकर समाज सेवा की और उन्हें प्रोत्साहित करने का जो इस दिशा में कुछ करने का निरंतर प्रयत्न कर रही हैं ।
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