नए साल पर ही क्यों.. अपने दिवस यानी महिला दिवस से करें प्रण की शुरुआत….
महिमा वर्मा
हां, इस बार आप ‘अपने‘ लिए कुछ करेंगी। जुम्बा, अक्वा योगा ये सिर्फ किसी पत्रिका के फोटो शूट को हसरत भरी निगाहों से देखने के लिए नहीं है,कमर कसिये और रेडी,स्टेडी,गो उतर पड़िए मैदान-ए-जंग में।कुछ नया करने का रोमांच महसूस करें।कुछ नया करने,सीखने की कोई उम्र नहीं होती ।
- ’सैक्रिफ़ाइजिंग मोड’ से बाहर निकलिए
- स्कूल-कॉलेज के पुराने सहपाठियों से नाता फिर से जोड़िये
- आप मेड के बच्चों को कुछ गाइडेंस दे सकती हैं या मेड को ही अक्षर ज्ञान दे सकती हैं
- महिमा वर्मा
आज मैंने उम्र की पचासवीं पायदान पर कदम रखा है, शायद आप भी रख चुकी होंगी या रखने वाली होंगी, यकीन मानिए अब आपका अपने आप से एक नया परिचय होने वाला है।जिंदगी का एक खूबसूरत नया मोड़। हंसते मुस्कराते हुए इस रास्ते पर निकल पड़िए। पति काम में अत्यधिक व्यस्त हैं पद की बढ़ती ऊंचाइयाँ आप दोनों के बीच व्यतीत होने वाले समय को कम से कमतर करता चला जा रहा है, जो बच्चे माँ को पुकारे बिना खाना, सोना, होम वर्क, क्या पहनें, प्रतियोगिता की तैयारी नहीं कर सकते थे आज घोंसला छोड़कर उड़ चुके हैं एक नए आसमान की खोज में। रीती आँखों एवं उदास मन लिए अपने को अनावश्यक एवं अनुपयोगी समझने की भूल न करें। अपने चारों तरफ देखिये कितना कुछ है करने के लिए। हां इस बार आप ‘अपने‘ लिए कुछ करेंगी। छोटी छोटी चीजों को करने या अनुभव करने में मिलने वाला सुकून या संतुष्टि शायद आप भूल चुकी थीं या यूँ कहें कि समय ही नहीं था इन लम्हों को जीने का।
बारिश की टिप टिप बूँदों की आवाज़ सुनते हुए सवेरे की चाय पीजिये, सकोरे से पानी पीती हुई चिड़ियाओं को देखकर एक अभिव्यक्त न कर पाने वाली खुशी को महसूस कीजिये,गमले में टमाटर या मिर्ची के बीज में से पौधों को अंकुरित होते देख मन को खुशी से झूमने दीजिये,गली में घूमने वाली बिल्ली ने बच्चे दिए हैं उन छोटे से रुई के गोलों को देखकर स्नेह-धारा बहने दीजिये।अपने आसपास के पुराने संसार को नई निगाहों से देखिये|जब नज़रें बदलेंगी तो नज़रिया भी बदलेगा|पहले आपने अपने बच्चों को पढ़ाने में दिन रात एक करे थे अब जब वो नहीं हैं आप मेड के बच्चों को कुछ गाइडेंस दे सकती हैं या मेड को ही अक्षर ज्ञान दे सकती हैं|दूसरों को कुछ सिखाइये खुद कुछ सीखिए|जिन पुराने शौकों एवं अभिरुचियों को व्यस्तताओं ने अंतरमन के किसी गहरे कोने में दबा दिया था उन्हें वहां से निकालिए।गीत संगीत, नृत्य, चित्रकला, अपनी पुरानी हँसी को फिर से अपने जीवन में लौटा कर लाइए और निर्मल आनन्द प्राप्त कीजिये। जुम्बा, अक्वा योगा ये सिर्फ किसी पत्रिका के फोटो शूट को हसरत भरी निगाहों से देखने के लिए नहीं है,कमर कसिये और रेडी,स्टेडी,गो उतर पड़िए मैदान-ए-जंग में।कुछ नया करने का रोमांच महसूस करें।कुछ नया करने,सीखने की कोई उम्र नहीं होती|
एक सबसे जरूरी बात अपनी हेल्थ के प्रति बहुत जागरूक हो जाइए|अब तक सबका बहुत ख्याल रखती आयी हैं न समय पर बच्चों को दूध-फल, पति को समय पर नाश्ता-खाना,माँ,बाउजी को समय पर दवाई|’सैक्रिफ़ाइजिंग मोड’ से बाहर निकलिए और अपने को भी इस रूटीन में शामिल कीजिये|आप स्वस्थ रहेंगी तभी अपने और दूसरों के लिए बहुत कुछ कर पाएंगी|ये स्वस्थ मन और स्वस्थ शरीर ही आपको अपने नए स्वरुप से मिलवायेगा|
अरे हाँ ट्रेवल प्लान भी तो बनाने हैं,सखियों के साथ या एक्सटेंडेड फैमिली के साथ या किसी समूह के साथ जिससे आप जुड़ी हैं| इस बार जब यात्रा पर जाएँगी तो लौटकर अपने को एकदम ताज़ादम पाएँगी।पहले भी आपने पति,बच्चों के साथ घूमना फिरना किया है, वह एक अलग आनन्द था पर अब जीवन के इस पड़ाव को नई नज़र से देखें, महसूस करें और पूरा पूरा आनंद उठाएं।
स्कूल – कॉलेज के पुराने सहपाठियों से नाता फिर से जोड़िये, वे रिश्ते जो आपकी जिम्मेदारियों के तले दबकर कहीँ खो गए थे उन्हें पुनर्जीवित करें। देखिए तो पुराने साथी आपके अंदर का खिलंदड़ीपन कैसे बाहर निकाल कर लाते हैं।
उम्र के विभिन्न पड़ावों के भिन्न भिन्न प्रकार के कर्तव्य व जिम्मेदारियां होती हैं और समयोचित व्यवहार की आशा भी| पर आज आप जिस पायदान पर खड़ी हैं ये अपेक्षाएँ खत्म तो नहीं किन्तु कम से कम हैं। तो बस देर न करें एक “नई मैं“ को पहचानें, उससे मुस्करा कर गले मिलें और निकल पड़ें ज़िन्दगी की टेढ़ी मेढ़ी पगडंडियों पर।
जीवन को स्नेह धारा में भीगा हुआ एक सुन्दर क्षण समझें,खुद भी इस स्नेह धार में भीगें और अपने संपर्क में आने वाले हर रिश्ते को भिगो दें|
स्नेह तो विस्तार है,बंधन नहीं!!
अरे जीवन गीत है,क्रंदन नहीं!!!
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