…संध्या सोनी
बेटी पिया संग रीती मत जाना तुम।
लेती जाना किलकारी के रंग, मासूम सी मुस्कुराहट के संग।
बेटी पिया संग रीती मत जाना तुम।
पहन शालीनता का बाना,
ससुराल के नवजीवन में आना।
सौभाग्य का कुंकुम लगा,
खुशहाली के गीत गाना तुम,
बेटी पिया संग रीती मत जाना तुम।
रखना समुद्र सी गहराई,
गोते लगा खुशियों के सीप ढूंढ लेना तुम,
बेटी पिया संग रीती मत जाना तुम।
बड़ों का मान करना,
अपने पर न इतराना।
पुराने दीए में नई सोच की
ज्योत जलाना तुम,
और हां अकड़, घमंड यही छोड़
स्वाभिमान ले जाना तुम,
धर्म की राह पर चलना,
मैं को त्याग हम बन जाना तुम,
चुन चुन गुण के हीरे मोती ले जाना तुम,
बेटी पिया संग रीती मत जाना तुम।