प्रो .डा . उषा गौर
बचपन में अक्सर बाबूजी एक कहावत सुनाते थे….
कुछ काम करो कुछ काम करो
जग में रह कर कुछ नाम करो
आज आरियाना के साथ आराम करते इन लम्हों को देख मेरे दिल से एक आवाज उठी ऐसा सुकून ऐसी शांति ऐसी तृप्ति आपको जीवन में कहीं नहीं मिल सकती जिस तृप्ति के संसार में हम दोनों एक साथ खोये हुए हैं….बस इसे सबसे साझा करने का दिल किया तो ये उद्गार मन से प्रस्फुटित हो उठे…..
आराम करो आराम करो
जग में रहकर व्यायाम करो
भर पेट ना भोजन खाओगे
तुम दुर्बल हो मर जाओगे
अपनी काया का ध्यान धरो
आराम करो आराम करो….
जितना सधता हो काया से
उतना ही काम कराओ उसे
गर जीना है लंबी जिंदगी
बस बात मेरी मानो इतनी
आराम करो आराम करो…
यह जनम हुआ किस अर्थ में
समझो जीवन तेरा व्यर्थ ना हो
गर छोटा बच्चा हो घर में
सीने से लगा लो अपने
फिर उसके संग संग
आंख मूंद देखो मनचाहे सपने
ये पल ना फिर मिल पाएंगे
जब बच्चे बडे हो जाएंगे
परियों के देश में घूमो अभी
चिंताएं छोडो अपनी सभी
आराम करो आराम करो….
बच्चों को लगाओ सीने से
और जी भरकर विश्राम करो
आराम करो आराम करो
जग में रहकर व्यायाम करो
भर पेट ना भोजन खाओगे
तुम दुर्बल हो मर जाओगे
अपनी काया का ध्यान धरो
आराम करो आराम करो….
जितना सधता हो काया से
उतना ही काम कराओ उसे
गर जीना है लंबी जिंदगी
बस बात मेरी मानो इतनी
आराम करो आराम करो…
यह जनम हुआ किस अर्थ में
समझो जीवन तेरा व्यर्थ ना हो
गर छोटा बच्चा हो घर में
सीने से लगा लो अपने
फिर उसके संग संग
आंख मूंद देखो मनचाहे सपने
ये पल ना फिर मिल पाएंगे
जब बच्चे बडे हो जाएंगे
परियों के देश में घूमो अभी
चिंताएं छोडो अपनी सभी
आराम करो आराम करो….
बच्चों को लगाओ सीने से
और जी भरकर विश्राम करो
(सभी को मन से मेरी सलाह आंख मूंदकर अनुभव कीजीये उस जहान को जहां मैं और आरियाना हैं जीवन तो अपनी गति से आगे बढ़ रहा है पर कुछ पल का ये आराम आपको जीवन पर्यन्त उर्जा देगा ये महज एक फोटो नहीं ये संदेश है परम आनंद का।)
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