दिल्ली, भारत। कृषि कानून को वापस लेने की मांग पर अड़े किसानों को केंद्र सरकार की तरफ से सिंघू बॉर्डर पर किसान नेताओं को लिखित प्रस्ताव भेजा गया, लेकिन अभी भी किसान और सरकार के बीच कोई बात नहीं बनी और किसान संगठनों ने सरकार के प्रस्तावों को सिरे से खारिज कर दिया।
किसानों संगठनों की प्रेस कॉन्फ़्रेंस :
सरकार की तरफ से मिले लिखित प्रस्तावों के बाद किसान नेताओं ने सिंधु बॉर्डर पर बैठक की, इसके बाद प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर किसानों ने अपनी आगे की रणनीति पर अपना फैसला सुनाया है। हालांकि, इस दौरान किसानों का रुख अभी भी सख्त है। किसानों का कहना है कि, तीनों कृषि कानूनों को रद्द होना चाहिए। साथ ही अब आंदोलन तेज करने की बात भी कही है।
किसानों द्वारा दी गई चेतावनी :
- हम 14 तारीख को ज़िला मुख्यालयों को घेरेंगे, पूरे देश में विरोध प्रदर्शन करेंगे।
- 12 दिसंबर को पूरे देश के टोल प्लाज़ा जाम कर देंगे।
- इसी दिन (12 दिसंबर) दिल्ली-जयपुर हाईवे को बंद करेंगे, हाईवे इससे पहले भी बंद किया जा सकता है।
- हम रिलायंस के सारे मॉलों का बहिष्कार करेंगे।
सिंघु बॉर्डर पर किसान नेता पंजाब, हरियाणा, यूपी, राजस्थान और मध्य प्रदेश में 14 तारीख को धरने लगाए जाएंगे जो धरने नहीं लगाएगा वो दिल्ली को कूच करेगा। 12 तारीख को जयपुर-दिल्ली हाईवे पर रोक लगाया जाएगा। बीजेपी के जितने मंत्री है उनका घेराव किया जाएगा और उनको पूरी तरीके से बहिष्कार करेंगे।
केंद्र की मोदी सरकार द्वारा किसानों को जो लिखित प्रस्ताव भेजा, आखिर सरकार के इस प्रस्ताव में ऐसा क्या है, जिसे किसान संगठनों ने स्वीकार नहीं किया।
सरकार के प्रस्ताव के मुद्दे-
1. राज्य सरकार प्राइवेट मंडियों पर भी शुल्क/फीस लगा सकती है।
2. राज्य सरकार चाहे तो मंडी व्यापारियों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर सकती है।
3. किसानों को कोर्ट कचहरी जाने का विकल्प भी दिया जाएगा।
4. किसान और कंपनी के बीच कॉन्ट्रैक्ट की 30 दिन के अंदर रजिस्ट्री होगी।
5. कॉन्ट्रैक्ट कानून में स्पष्ट कर देंगे कि किसान की जमीन या बिल्डिंग पर ऋण या गिरवी नहीं रख सकते।
6. किसान की ज़मीन की कुर्की नहीं हो सकेगी।
7. एमएसपी की वर्तमान खरीदी व्यवस्था के संबंध में सरकार लिखित आश्वासन देगी।
8. बिजली बिल अभी ड्राफ्ट है, इसे नहीं लाया जाएगा।
9. एनसीआर में प्रदूषण वाले कानून पर किसानों की आपत्तियों का समुचित समाधान किया जाएगा।